अब छोटे कमरे वालों को भी जूनियर हाईस्कूल की मान्यता

  • मान्यता नियमावली बदलने की तैयारी 
  • छात्र-शिक्षक का बदलेगा अनुपात
  • मान्यता देने का अधिकार एडी बेसिक से छीन BSA को देने की तैयारी


लखनऊ। निजी क्षेत्र में स्कूल खोलने वालों को अब बहुत बड़े कमरे बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। छोटे-छोटे कमरे हैं तो भी उन्हें स्कूल चलाने की मान्यता दे दी जाएगी। यही नहीं मान्यता के लिए स्कूल संचालकों को अब सालभर इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मान्यता समिति की बैठक हर माह होगी और मानक पूरा करने वालों को मान्यता दे दी जाएगी। प्राइमरी स्कूलों को मान्यता देने का अधिकार एडी बेसिक से छीनकर बेसिक शिक्षा अधिकारियों को देने की तैयारी है। उनसे केवल अनुमोदन लिया जाएगा। बेसिक शिक्षा परिषद ने जूनियर हाईस्कूल मान्यता नियमावली के संशोधन का प्रारूप तैयार करते हुए लखनऊ, मेरठ, उन्नाव, इलाहाबाद और कानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से सुझाव मांगे गए हैं। इन्हें सुझाव के साथ 23 मई को बेसिक शिक्षा निदेशालय में बुलाया गया है।
प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद कक्षा 8 तक हिंदी और अंग्रेजी मीडियम की मान्यता देता है। इसके लिए मान्यता नियमावली बनाई गई है। मौजूदा नियमावली में क्लास रूम न्यूनतम 440 वर्ग फीट का होना अनिवार्य है। इसके अलावा प्रधानाध्यापक और स्टाफ के लिए अलग-अलग रूम की अनिवार्यता है। इन नियमों के चलते मान्यता पाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। इसलिए बेसिक शिक्षा परिषद नियमों में संशोधन करना चाहता है, ताकि अधिक संख्या में निजी क्षेत्रों में स्कूल खोले जा सकें। प्रस्तावित नियमावली में क्लास रूम 440 वर्ग फीट के स्थान पर 180 से 200 वर्ग फीट तक करने का प्रावधान किया गया है। इसी तरह प्रधानाध्यापक और स्टाफ रूम के लिए अलग-अलग रूम की अनिवार्यता समाप्त करते हुए इसके स्थान पर इनके लिए एक रूम की व्यवस्था करने का प्रावधान किया जा रहा है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिए छात्र-शिक्षक का अनुपात रखा गया है। प्राइमरी स्कूल के लिए 30 छात्र पर एक शिक्षक और उच्च प्राइमरी में 35 छात्र पर एक शिक्षक होने पर ही मान्यता दी जा रही है। इससे निजी स्कूल संचालकों को मान्यता लेने में कठिनाई हो रही है। बेसिक शिक्षा परिषद छात्र-शिक्षक अनुपात में भी राहत देना चाहता है। पांच जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों के सुझाव पर इसमें संशोधन किया जाएगा।


खबर साभार : अमर उजाला


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