शिक्षामित्रों, शिक्षकों व संविदा कर्मियों के मानदेय पर संकट : आचार संहिता के फेर में फंसा SSA का बजट

  • शिक्षामित्रों, शिक्षकों व संविदा कर्मियों के मानदेय पर संकट
  • आचार संहिता के फेर में फंसा सर्व शिक्षा अभियान का बजट
  • राज्य सरकार को केंद्र में नई सरकार के गठन का करना होगा इंतजार

लखनऊ। चुनावी आचार संहिता के फेर में सर्व शिक्षा अभियान का बजट भी फंस गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद ही बजट रिलीज किया जाएगा। राज्य सरकार को अब केंद्र में नई सरकार के गठन का इंतजार करना होगा। इसके बाद ही बजट मिल पाएगा। इससे संविदा पर कार्यरत शिक्षामित्रों, विशेषज्ञ शिक्षकों और ब्लाॅकों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर और सहायक लेखाकारों के मानदेय का संकट खड़ा हो गया है।
राज्य सरकार ने इस बार सर्व शिक्षा अभियान के तहत 13477.82 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था। इसमें मानसिक मंदित, जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) बुखार वाले 5256 बच्चों को घर पर शिक्षा देने, 1546 प्राथमिक, 198 उच्च प्राथमिक स्कूल खोलने, परिषदीय स्कूलों में 6445 अतिरिक्त क्लास रूम, 71,728 स्कूलों में चाहरदीवारी बनाने, 3257 में पेयजल की सुविधा तथा 2047 छात्रों के व 1271 बालिकाओं के स्कूलों के लिए शौचालय बनाने का प्रावधान किया गया है। 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ प्रस्तावित बजट पर चर्चा भी कर चुका है। कुछ प्रस्तावों को छोड़ दें तो अधिकतर पर सहमति बन चुकी है। केंद्र सर्व शिक्षा अभियान के तहत बजट जारी करता इससे पहले आचार संहिता लागू हो गई। राज्य सरकार ने कुछ जरूरी मदों में पैसे देने की मांग भी की थी। मसलन संविदा पर कार्यरत शिक्षकों, शिक्षामित्रों और ब्लाॅकों पर कार्यरत लेखाकार और कंप्यूटर ऑपरेटरों का मानदेय का पैसा मांगा गया था, लेकिन इसे भी अभी तक नहीं दिया गया है।


खबर साभार : अमर उजाला

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